
भारत में आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण देखा जा रहा है। दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और ओडिशा समेत कई बड़े शहरों में लोग इसे अपनी आंखों से देख पाएंगे। यह न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से खास है, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
सूतक काल क्यों माना जाता है अहम?
ग्रहण शुरू होने से पहले ही सूतक काल लागू हो जाता है। शास्त्रों में इसे शुद्धता और आस्था से जुड़ा समय बताया गया है। ग्रहण के 9 घंटे पहले से यह काल शुरू हो जाता है और इसके खत्म होने तक लोगों को खास नियमों का पालन करना चाहिए।
सूतक काल में क्या-क्या नहीं करना चाहिए?
पंडितों और शास्त्रों के अनुसार:
- पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों को रोक दिया जाता है।
- भोजन पकाना और खाना वर्जित माना जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। कहा जाता है कि ग्रहण का असर शिशु पर भी पड़ सकता है।
- भगवान की मूर्तियों को छूना या पूजा करना मना होता है।
- कैंची, चाकू जैसी धारदार चीज़ों का इस्तेमाल भी शुभ नहीं माना जाता।
ग्रहण के दौरान क्या कर सकते हैं?
- कई लोग इस दौरान मंत्र जाप और ध्यान करते हैं।
- तुलसी के पौधे और गंगाजल को शुद्धता बनाए रखने के लिए भोजन में रखा जाता है।
- ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहण काल में किया गया भजन और नाम-स्मरण हजार गुना फल देता है।

ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करना ज़रूरी है?
- सबसे पहले स्नान करना जरूरी है।
- घर और मंदिर की पूरी तरह सफाई करनी चाहिए।
- भगवान की मूर्तियों को गंगाजल से धोया जाता है।
- दान-पुण्य करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव कम माने जाते हैं।
- कई जगहों पर लोग जरूरतमंदों को अनाज और कपड़े बांटते हैं।
चंद्र दोष और उसके उपाय
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि ग्रहण का असर चंद्र दोष के रूप में भी देखा जाता है। इसे दूर करने के लिए:
- ग्रहण के बाद स्नान और दान-पुण्य करना चाहिए।
- गरीबों और जरूरतमंदों को सफेद वस्त्र या चावल दान करना शुभ होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह एक खगोलीय घटना है, जिसका धार्मिक मान्यताओं से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन भारत में ज्योतिष और परंपरा के चलते इसे खास महत्व दिया जाता है।
👉 इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण न सिर्फ एक आसमान का अद्भुत नजारा है, बल्कि लोगों के लिए आस्था और परंपरा का भी बड़ा हिस्सा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि देशभर में लोग इसे किस तरह से देखते हैं और कौन-सी परंपराएं निभाते हैं।